Last Updated: Jul 25, 2023, 06:20 PM IST
छत्तीसगढ़ में पिछले साल अक्तूबर से जारी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की कार्रवाई थमने का नाम नहीं ले रही है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विश्वासपात्र मानीं जाने वाली आईएएस अधिकारी और कृषि विभाग की संचालक रानू साहू को ईडी ने गिरफ़्तार किया. फ़िलहाल रायपुर की स्थानीय अदालत ने रानू साहू को तीन दिनों के लिए ईडी की रिमांड पर सौंप दिया है.
आईएएस अधिकारी रानू साहू
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया और आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई के बाद आईएएस अधिकारी रानू साहू की कथित कोयला घोटाले में तीसरी बड़ी गिरफ़्तारी है.
हालाँकि इस मामले में कई बड़े कारोबारी और सरकारी अफ़सर पहले से ही जेल में हैं, लेकिन ताज़ा गिरफ़्तारी के बाद ईडी ने अपनी पूछताछ का दायरा और बढ़ा दिया है.
सरकारी अफ़सरों और कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों से पूछताछ का यह सिलसिला रविवार और सोमवार को भी जारी रहा. राज्य में कम से कम 18 जगहों पर छापामारी और पूछताछ चलती रही. ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने मीडिया से कहा कि कोयला घोटाले में रानू साहू की गिरफ़्तारी इसलिए ज़रूरी थी क्योंकि उनकी इस घोटाले में संलिप्तता थी और कई बार उनसे पूछताछ की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया. हालाँकि रानू साहू के वकील फ़ैज़ल रिज़वी ने कहा कि ईडी का दावा पूरी तरह काल्पनिक है. उन्होंने कहा कि ईडी के आरोपों में कोई भी ऐसा तथ्य नहीं है, जिससे यह प्रमाणित हो कि इस लेवी वसूली में रानू साहू सीधे जुड़ी हुई हों.
दूसरी ओर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं.
उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी के दो महत्वपूर्ण विंग हैं- ईडी और आईटी. दोनों का भरपूर उपयोग छत्तीसगढ़ में किया जा रहा है. फिर भी दाल गलने वाली नहीं है.”
क्या है कोयला लेवी घोटाला?
पिछले साल अक्तूबर में ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई अफसरों और कारोबारियों के घर-दफ़्तर पर छापामारी की थी और आरोप लगाया था कि राज्य में एक संगठित गिरोह कोयला परिवहन में 25 रुपए प्रति टन की वसूली कर रहा है.
ईडी के दस्तावेज़ों की मानें तो 15 जुलाई 2020 को इसके लिए सरकारी अधिकारियों ने एक सोची-समझी नीति के तहत आदेश जारी किया और उसके बाद ही अवैध वसूली का सिलसिला शुरू हुआ.
अब तक ऑनलाइन ‘डिलिवरी ऑर्डर’ जारी करने के बजाय ‘सर्वर में गड़बड़ी’ का हवाला देकर, खनिज अधिकारी की ओर से ऑफ़लाइन आदेश जारी किया जाने लगा.
परिवहन करने वाले वाहन को तब तक खनिज अधिकारी की ओर से ‘डिलिवरी ऑर्डर’ नहीं दिया जाता, जब तक वह इस रक़म को न चुका दे.
ईडी के अनुसार, इस घोटाले में कई कारोबारी, कांग्रेस पार्टी के नेता और अफ़सर शामिल थे और उन्होंने अब तक इस तरीक़े से 540 करोड़ रुपए से अधिक की रक़म अवैध तरीक़े से वसूली की.
अदालत में प्रस्तुत दस्तावेज़ों में ईडी ने दावा किया है कि उसने इस संबंध में बड़ी संख्या में डायरी, फ़ोन चैट, लेन-देन के सबूत, करोड़ों रुपए नक़द, सोना, अरबों रुपए की संपत्ति के ब्यौरे और दूसरे दस्तावेज़ जब्त किए.
इसके अलावा उसने अभियुक्त कारोबारियों, अफ़सरों और नेताओं की 200 करोड़ रुपए से अधिक की कथित अवैध संपत्ति भी अटैच की है.
इसके अलावा भी ईडी छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाला और ज़िला ख़निज फ़ाउंडेशन के अरबों रुपए के कथित घोटाले की भी जाँच कर रही है.
हालाँकि आईएएस अधिकारी और कृषि विभाग की संचालक रानू साहू की ताज़ा गिरफ़्तारी में कथित कोयला घोटाले को आधार बताया गया है लेकिन ईडी के अधिकारियों का कहना है कि दूसरे मामलों में भी रानू साहू की संलिप्तता की जाँच की जा रही है.
कौन हैं रानू साहू?
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार की सर्वाधिक महत्वाकांक्षी योजनाएँ कृषि विभाग से जुड़ी रही हैं और गिरफ़्तारी के समय रानू साहू इसी कृषि विभाग की संचालक और छत्तीसगढ़ राज्य मंडी बोर्ड की प्रबंध संचालक थीं.
वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विश्वासपात्र अफ़सरों में शुमार रही हैं.
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की रहने वाली रानू साहू का चयन 2005 में पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर हुआ था.
2010 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की और उन्हें छत्तीसगढ़ कैडर मिला. रानू साहू के पति जयप्रकाश मौर्य भी आईएएस अधिकारी हैं.
रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा में कलेक्टर थीं. इसके बाद फ़रवरी 2023 तक वे रायगढ़ ज़िले की भी कलेक्टर थीं.
दोनों ही ज़िले राज्य में सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने वाले ज़िलों में गिने जाते हैं.
रानू साहू के पति आईएएस जयप्रकाश मौर्य जून 2021 से भूगर्भ और खनिज विभाग के विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे.
पिछले नौ महीनों में रानू साहू के घर और दफ़्तर पर ईडी ने तीन-तीन बार छापामारी की और उनसे कई बार पूछताछ की गई.
पिछले साल 11 अक्तूबर को जब ईडी ने रानू साहू के रायगढ़ स्थित कलेक्टर निवास पर छापा मारा तो उनके सरकारी बंगले पर ताला लगा था और उनके अवकाश या दौरे पर होने की कोई अधिकृत सूचना नहीं थी.
इसके बाद ईडी ने उनका सरकारी बंगला सील कर दिया था.
ईडी को जानकारी मिली कि वे इलाज के लिए हैदराबाद में हैं.
महीने भर बाद 14 नवंबर को रानू साहू ने अपने रायगढ़ लौटने की सूचना ईडी को दी, जिसके बाद जाँच कार्रवाई शुरू की गई.
माना जा रहा था कि उनकी किसी भी समय गिरफ़्तारी हो सकती है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
पिछले साल कोरबा के विधायक और राज्य के राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कई अवसरों पर, सार्वजनिक तौर पर रानू साहू पर कथित भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए.
लेकिन मंत्री के आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और रानू साहू अपने पद पर बनी रहीं.
अब जबकि रानू साहू की गंभीर आरोपों में गिरफ़्तारी हो चुकी है, तब भी राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पूरे मामले को महज़ राजनीतिक साज़िश बता रहे हैं.
हसदेव अरण्य, कोयला खदान और ईडी
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के घने जंगल में राजस्थान सरकार को आबंटित परसा ईस्ट केते बासन, परसा और केते एक्सटेंशन कोयला खदानों को लेकर पिछले कई सालों से आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं.
दुनिया भर में पर्यावरण प्रेमी हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का विरोध करते रहे हैं.
हसदेव अरण्य से जुड़े जैव विविधता, पेसा क़ानून, वन अधिकार क़ानून से संबंधित कई मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
छत्तीसगढ़ विधानसभा ने पिछले साल जुलाई में ही हसदेव अरण्य में स्वीकृत सभी कोयला खदानों की स्वीकृतियाँ रद्द करने का संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया था.
लेकिन राज्य सरकार ने अपनी ओर से एक भी स्वीकृति रद्द नहीं की.
इसके उलट राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयले की कमी का हवाला दे कर कोयला खनन का काम जारी रखा.
लेकिन ईडी की छापामारी के बाद पहली बार पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र दे कर कहा कि राजस्थान को पहले से आबंटित कोयला खदान का कोयला अगले 20 सालों तक के लिए पर्याप्त है और हसदेव अरण्य में नए कोयला खदान शुरू करने की ज़रूरत नहीं है.
पाँच सालों की सरकार में विधानसभा के अंतिम सत्र के अंतिम दिन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा के भीतर साफ़ शब्दों में कहा कि राज्य में इनकम टैक्स और ईडी की कार्रवाई इसलिए हो रही है क्योंकि हमने उनके ‘मित्र’ को खदानें नहीं दीं.
भूपेश बघेल ने कहा कि हमने कोयला खदान वाले इलाके में एलीफेंट कॉरीडोर बना दिया. उसके बगल में जो खदान हैं, उसको ये लेना चाहते हैं. मध्य प्रदेश की तरह कोयला खदान में ड्रिल करके गैस निकालना चाहते थे. लेकिन उनकी मंशा पर पानी फिर गया, इसी कारण इतने छोटे-से राज्य में ईडी, आईटी सारे लोग बैठे हुए हैं. लेकिन विपक्षी दल भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह इससे सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि ये बहुत बड़ा मकड़जाल है, जिसमें बहुत लोगों के हाथ हैं. धीरे-धीरे एक-एक परत दर परत खुलती जाएगी और लोग सामने आते जाएंगे. उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती तो एक अलग बात है. अब तो परत दर परत पूरा जनता के सामने आने लगा है, न्यायालय में जाने लगा है. ईडी ने 13 हज़ार पन्नों का साक्ष्य न्यायालय में पेश किया है. किसी मुख्यमंत्री को इससे बड़ा साक्ष्य और क्या चाहिए.”
चुनाव के चार महीने
रमन सिंह आरोप है कि अधिकारियों की गिरफ़्तारी और उनकी अवैध संपत्ति का राज खुलने के बाद यह बात और स्पष्ट हो गई है कि राज्य में किस तरह कोयला घोटाला और शराब घोटाला को अंजाम दिया गया. उन्होंने कहा, “खनिज विभाग के निदेशक कोयला लेवी घोटाले में जेल में हैं. अगर उनकी सहमति से सब कुछ चल रहा था तो खनिज विभाग के भारसाधक मंत्री, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सहमति के बिना यह संभव नहीं है. कार्रवाई तो उन पर भी होनी चाहिए.” रमन सिंह का कहना है कि राज्य में इस साल अक्तूबर-नवंबर में होने वाले चुनाव में राज्य का कोयला घोटाला एक बड़ा मुद्दा होगा.
ईडी और आयकर विभाग की छापामारी राज्य में चुनावी मुद्दा होगा.
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने बीबीसी से कहा, “रमन सिंह पूरी तरह से ईडी के प्रवक्ता बने हुए हैं. वे जैसा-जैसा कहते हैं, ईडी उसी तरह से पटकथा लिखती है. राज्य की 85 फ़ीसदी कोयला खदानें कोल इंडिया की हैं. अगर इस तरह की कोई कोयला लेवी वसूली हो रही थी तो देश के खनन मंत्री और प्रधानमंत्री क्या कर रहे थे? इस मामले में तो इन दोनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए.”
सुशील आनंद शुक्ला ने आरोप लगाया कि देश के गृहमंत्री अमित शाह जब कोरबा के दौरे पर पहुँचे, उससे पहले ईडी ने छापामारी की. अमित शाह जब बस्तर के दौर पर पहुँचे, तब ईडी ने छापामारी की और अमित शाह जब रायपुर पहुँचे तब ईडी ने छापामारी की.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “यह जनता की अदालत में कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनावी मुद्दा बनेगा कि भाजपा के आनुषांगिक संगठन की तरह काम करने वाले ईडी मोर्चा और आईटी मोर्चा की सच्चाई क्या है!”