SY Quraishi: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने राजनीतिक फंडिंग के साधन के रूप में चुनावी बांड के इस्तेमाल किए जाने पर साधा निशाना
एक राष्ट्र, एक चुनाव' से लोकतांत्रिक जवाबदेही कम होगी: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी
Updated Thu, 12 Oct 2023 03:38 PM IST
‘एक साथ चुनाव कराने पर सहमति न बने तो लोगों पर नहीं थोपें’, वन नेशन-वन इलेक्शन पर बोले कुरैशी। उन्होंने आरोप लगाया कि इसने धन देने की पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह गैर पारदर्शी बना दिया है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर निशाना साधा। एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाएं तलाशे जाने के बीच कुरैशी ने कहा कि अगर एक साथ चुनाव कराने पर राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति नहीं बनती है तो इसे लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए।
कुरैशी ने यह भी उम्मीद जताई कि वर्तमान चुनाव आयुक्त आगामी चुनाव में आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में सख्ती से कार्रवाई करेंगे।
अपनी नई किताब पर बोले कुरैशी
अपनी नई किताब ‘इंडियाज एक्सपेरिमेंट विद डेमोक्रेसी: द लाइफ ऑफ ए नेशन थ्रू इट्स इलेक्शन्स’ पर कुरैशी ने कहा कि कोई पार्टियों द्वारा मुफ्त की सौगातों का वादा करने में कानूनी तौर पर खामी नहीं तलाश सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस प्रथा को खत्म नहीं करा सका। बताया जा रहा है कि कुरैशी की किताब भारत में चुनावों के इतिहास, प्रक्रियाओं और राजनीति पर गहराई से प्रकाश डालती है।
चुनावी बांड पर साधा निशाना
उन्होंने राजनीतिक फंडिंग के साधन के रूप में चुनावी बांड के इस्तेमाल किए जाने पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि इसने धन देने की पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह गैर पारदर्शी बना दिया है।
कुरैशी ने कहा, ‘साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले भाषण में कहा था कि जब तक दलों को धन देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी, तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं। यह बिल्कुल सही बात है। हम भी यही कहते आ रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि जेटली की एक और बात सही थी कि पिछले 70वर्षों में पार्टियों को धन देने में पारदर्शिता नहीं ला पाए। जुलाई 2010 से जून 2012 तक देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे कुरैशी ने कहा, ‘मैंने सोचा था जेटली आगे यह कहेंगे की हम पारदर्शिता लागू करने जा रहे, लेकिन उन्होंने चुनावी बांड पेश करके थोड़ी बहुत बची पारदर्शिता भी खत्म कर दी।’