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Cyclone Biporjoy: ‘घर का आधा सामान तो वहीं छोड़ आए, पता नहीं इस तूफान के बाद क्या होगा’

हवाओं का शोर इतना ज्यादा है कि कच्छ के हरिमन भाई की आवाज को सुन पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। फोन में नेटवर्क की इतनी समस्या थी कि बात नहीं हो पा रही थी। रह-रह कर हो रही बारिश से बचते हुए जैसे तैसे पश्चिमी कच्छ के नखतारा तालुका के सुथरी गांव के रहने वाले हरिमन भाई रबरिया ने अमर उजाला डॉट कॉम से समुद्री चक्रवाती तूफान बिपरजोय के आने से पहले विस्थापित किए जाने के दौरान बातचीत की। हरिमन भाई कहते हैं कि हमें नहीं पता कि अब हमारी जिंदगी दोबारा कैसे बस पाएगी। अपने पुरखों की जमीन छोड़कर हम लोग उस जगह पर आ गए हैं, जहां पर कभी आना ही नहीं हुआ। अपना घर-बार धंधा-पानी सब छोड़कर इस उम्मीद से कच्छ के भिंडयारा पहुंचे हैं कि शायद हालात सामान्य होने के बाद हम लोग वापस अपने गांव अपने घर पहुंच सकें। भावुक होते हुए कहते हैं कि अपने घर से जो सामान ला सकते थे उतना लाए हैं बाकी सब वहीं छोड़ आए हैं।

आंखों के सामने घर और गृहस्थी को बर्बाद करने के लिए छोड़ आए

अमर उजाला डॉट कॉम से फोन पर बात करते हुए पश्चिमी कच्छ के नखतारा तहसील के सुथरी गांव में रहने वालों को कुछ समय पहले ही वहां से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर भिंडयारा कस्बे में पहुंचा दिया गया। अपने परिवार के साथ भिंडयारा पहुंचे हरिमन भाई कहते हैं कि वह अपने पूरे परिवार के साथ यहां आ हो चुके हैं। वह कहते हैं कि वह बेरा गांव में मछलियों की दुकान करते थे फिर इसी गांव में बस गए थे। 51 साल के हरीमन बताते हैं कि समुद्री इलाकों में ऐसे तूफान तो आए, लेकिन जितना डर बिपरजॉय को लेकर बना हुआ है वैसा आज तक कभी दिखा ही नहीं। वह कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि अब वह वापस अपने घर कब पहुंच पाएंगे। अगर पहुंचेंगे भी तो उनके पुरखों का बनाया हुआ घर बचा भी होगा या समुंदर की लहरों ने लील लिया होगा। जिस तरह से इस समुद्री तूफान को लेकर उनके दिल में डर घर कर गया है वह तो अब दोबारा उन इलाकों में जाकर बसने के बारे में भी कई बार सोचेंगे। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि अपने पुरखों की जमीनों को कोई भला ऐसे कैसे छोड़ दे। भावुक होते हुए वो कहते हैं कि अपनी आंखों के सामने अपने घर की बसी बसाई गृहस्ती को बर्बाद करने के लिए छोड़ आए हैं।

पूरे इलाके में दुकानों से लेकर बाजारों में सन्नाटा

कच्छ के रहने वाले पठान इशहाक अब्दुल्ला बताते हैं कि उनके इलाके में हालात बहुत बदहाल हैं। वह कहते हैं कि समुद्री तट से कई किलोमीटर दूर होने के बाद भी इलाके में हवाओं की रफ्तार अभी इतनी ज्यादा है कि यहां के गांव शहर और कस्बों में लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। पश्चिमी कच्छ के नखतारा तालुका की सभी दुकानें और बाजार पूरी तरह बंद हैं। बारिश का असर भी इतना ज्यादा है कि वहां के कई कच्चे घर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। इशहाक अब्दुल्ला बताते हैं कि तूफान का असर पक्के घरों पर भी लगातार पड़ रहा है। वह कहते हैं कि आज तक उन्होंने तूफान की ऐसी दहशत कभी नहीं देखी। इलाके में रह रह कर बारिश हो रही है। समुद्री इलाकों में जाने के लिए यहां के लोगों को पूरी तरह न सिर्फ रोका गया है, बल्कि एक-एक घर से प्रत्येक व्यक्ति को विस्थापित कर के 80 से 90 किलोमीटर दूर पहुंचा दिया गया है। वह कहते हैं कि जो प्रशासन की ओर से हम लोगों को बताया गया है, उसके मुताबिक सब कुछ सामान्य होने में कम से कम एक हफ्ते का वक्त लग जाएगा।

कोई अपनी बूढ़ी मां तो कोई बच्चों के साथ हुआ रवाना

कच्छ के ही आरीखाना और अकरीमोती भी समुद्र के तट पर बसे हुए गांव हैं। इस गांव के रहने वाले बहुत से लोगों को वहां से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर भुज में विस्थापित किया गया है। अकरीमोती के रहने वाले देवेन नगरिया बताते हैं कि वह तो अपने पूरे परिवार के साथ अपने रिश्तेदार के घर भुज आ गए हैं। देवेन कहते हैं कि वह अपनी मां के साथ अपना पुश्तैनी घर छोड़कर आए हैं। वह कहते हैं कि प्रशासन की ओर से उन सब लोगों को अगले एक सप्ताह के भीतर हालात सामान्य होने के बाद वापस अपने गांव और घर की ओर जाने की बात कही है। लेकिन देवेन कहते हैं कि अभी मिल रही जानकारी के मुताबिक उनके गांव को जाने वाली सड़क समुंदर की भेंट चढ़ चुकी है। तेज हवाओं की वजह से उनके घरों के ऊपर पेड़ गिर चुके हैं और इसकी संभावना ना के बराबर है कि वह अपने उन घरों में जाकर दोबारा बस पाएंगे।

द्वारका में भी लोग खाली कर गए अपना घर

गुजरात के द्वारका में समुद्री तट पर बसे हुए रिहायशी इलाकों को पूरी तरीके से खाली करा दिया गया है। यहां रहने वाले चेतन झूंगी बताते हैं कि वह अपने परिवार के साथ फ़िलहाल राजकोट जा रहे हैं। इलाके में समुद्री तूफान को लेकर इतनी ज्यादा दहशत है कि जानकारी मिलते ही पूरे इलाके को पहले से ही खाली करा दिया गया था। वह कहते हैं कि हालात ऐसे बने कि अपना व्यापार घर सब कुछ छोड़ कर उनको फिलहाल एक नए शहर की ओर जाना पड़ रहा है। चेतन बताते हैं कि उनके साथ उनके कई पड़ोसी भी आसपास के शहरों में अपना पूरा घर छोड़कर शिफ्ट हो गए हैं। उनका कहना है कि वह अब वापस कब आएंगे, इसे लेकर अधिकारियों की ओर से मिलने वाले आदेशानुसार व्यवस्था की जाएगी। द्वारका से जामनगर अपनी बहन के घर जा रहे हैं दिनेश मांडवीया कहते हैं कि आज तक इससे पहले इतनी दहशत किसी समुद्री तूफान को लेकर देखी नहीं गई। उनका कहना है कि वह लोग समुद्री तट के किनारे रहते हैं लेकिन ऐसे हालात बनेंगे इसे लेकर कभी किसी ने सोचा ही नहीं। लेकिन इन तमाम परिस्थितियों के बाद भी वह इस बात को मानते हैं कि वक्त रहते सब कुछ अब पता चल रहा है इसीलिए वह सब लोग सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।

भुज में विस्थापितों को मिला आसरा

भुज के रहने वाले गनी कुंबार कहते हैं कि हालात भुज में भी बहुत अच्छे नहीं है। अमर उजाला डॉट कॉम से हुई बातचीत के दौरान कुंबार कहते हैं कि कच्छ के इलाके में आने वाले समुद्री तूफान की वजह से यहां पर लगातार बारिश हो रही है। तेज हवाएं चल रही हैं और द्वारका, पोरबंदर, मांडवी समेत कच्छ के समुद्री तटों के गांव और शहर कस्बों के लोगों को विस्थापित किया जा चुका है। वह बताते हैं कि तकरीबन 40 हजार लोग अब तक विस्थापित हो चुके हैं। उनके बहुत से जानने वाले या तो उनके पास आ गए हैं या आसपास के इलाकों में जाकर सरकार द्वारा की तैयार की गई व्यवस्थाओं में उन्हें रहना पड़ रहा है। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर लोगों के रहने और खाने की व्यवस्थाएं भी जिम्मेदार संस्थाओं ने की हैं।

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रायपुर दर्शन डिजिटल न्यूज़ चैनल का एक ऐसा माध्यम है जिसमे छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश दुनियां की सारी खबरे एक ही प्लेटफार्म में देखने मिलेंगी। हमारा उद्देश्य बदलते छत्तीसगढ़ ,नक्सलवाद का खात्मा करता छत्तीसगढ़ ,शिक्षा का अलख जगाता छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश दुनियां में सांस्कृतिक धरोहर को बेहतर मुकाम पर दिखाना है।

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