Updated : Mon, 11 Sep 2023 07:57 PM IST
Chandrababu Naidu: क्या है कौशल विकास घोटाला जिसमें गिरफ्तार हुए चंद्रबाबू नायडू, पूर्व सीएम का आगे क्या होगा? आरोपों के मुताबिक, कौशल विकास घोटाला 350 करोड़ रुपये का है और इस मामले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ साल 2021 में एफआईआर दर्ज की गई थी।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी इस वक्त सुर्खियों में है। नायडू की गिरफ्तारी के विरोध में उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं। उनकी पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने सोमवार को पूरे राज्य में बंद का आह्वान किया है। उधर भाजपा और जन सेना पार्टी जैसे दलों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
पूर्व सीएम की गिरफ्तारी किस आरोप में हुई है? आखिर पूरा मामला क्या है? इस मामले में चंद्रबाबू नायडू की भूमिका क्या है? आरोपों पर टीडीपी प्रमुख ने क्या कहा है?
पूर्व सीएम की गिरफ्तारी किस आरोप में हुई है?
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नायडू को सीआईडी ने कौशल विकास घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी शनिवार सुबह नंद्याल से सीआरपीसी की धारा 50(1)(2) के तहत हुई। आरोपों के मुताबिक, कौशल विकास घोटाला 350 करोड़ रुपये का है और इस मामले में चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ साल 2021 में एफआईआर दर्ज की गई थी। रविवार को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार नायडू को विजयवाड़ा की एक कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के पुलिस उपाधीक्षक एम धनंजयुडु ने बताया कि गिरफ्तारी गैर जमानती धाराओं में की गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2018 में इस घोटाले की शिकायत की थी। मौजूदा सरकार की जांच से पहले जीएसटी इंटेलिजेंस विंग और आयकर विभाग भी घोटाले की जांच कर रहे थे।
आखिर भ्रष्टाचार का पूरा मामला क्या है?
आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार के वक्त युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण देने के लिए योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के हैदराबाद और इसके आसपास के इलाकों में स्थित भारी उद्योगों में काम करने के लिए युवाओं को जरूरी कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाना था। सरकार ने योजना के तहत इसकी जिम्मेदारी एक कंपनी सीमेन्स (Siemens) को दी थी। योजना के तहत छह क्लस्टर्स बनाए गए, हर क्लस्टर पर 560 करोड़ रुपये खर्च होने थे। यानी कुल 3,300 करोड़ रुपये योजना पर खर्च होने थे।
तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने कैबिनेट में बताया कि योजना के तहत राज्य सरकार कुल खर्च का 10 प्रतिशत यानी कि 370 करोड़ रुपये खर्च करेगी। बाकी का 90 प्रतिशत खर्च कौशल विकास प्रशिक्षण देने वाली कंपनी सीमेन्स द्वारा दिया जाएगा। आरोप है कि चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने योजना के तहत खर्च किए जाने वाले 371 करोड़ रुपये शेल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिए। पूर्व सीएम पर ये भी आरोप है कि शेल कंपनियां बनाकर उन्हें पैसे ट्रांसफर करने से संबंधित दस्तावेज भी नष्ट कर दिए गए।
इसमें चंद्रबाबू नायडू की भूमिका क्या?
सीआईडी प्रमुख एन संजय ने कहा कि जांच में पाया गया कि कौशल विकास योजना में धन की हेराफेरी से नायडू और तेदेपा को लाभ मिला। नायडू घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता और आरोपी नंबर एक हैं। उनके पास समय-समय पर सरकारी आदेश जारी करने और समझौता ज्ञापन के लिए लेनदेन की विशेष जानकारी थी। नायडू को आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी सहित भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं में गिरफ्तार किया गया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से मामले की जांच कर रही ईडी
घोटाले की जांच ईडी द्वारा भी की जा रही है। कुछ माह पहले ईडी ने इस घोटाले की आरोपी कंपनी डिजाइनटेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की 31 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति भी अटैच की थी। आरोप है कि इसी कंपनी के जरिए सरकारी योजना का पैसा शेल कंपनियों को ट्रांसफर किया गया, साथ ही फर्जी इनवॉइस तैयार की गईं।
ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से मामले की जांच कर रही है। ईडी ने इस मामले में सीमेन्स कंपनी के पूर्व एमडी सोम्याद्री शेखर बोस, डिजाइनटेक कंपनी के एमडी विकास विनायक खानवेलकर, पीवीएसपी आईटी स्किल्स प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड और स्किलर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मुकुल चंद्र अग्रवाल, सीए सुरेश गोयल के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
आरोपों पर टीडीपी प्रमुख ने क्या कहा है?
इस कार्रवाई पर तेलगु देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने भी प्रतिक्रिया दी है। नायडू ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, ’45 वर्षों से मैंने निस्वार्थ भाव से तेलुगु लोगों की सेवा की है। मैं उनके हितों की रक्षा के लिए जान कुर्बान करने के लिए तैयार हूं। कोई ताकत मुझे तेलुगू लोगों, मेरे आंध्र प्रदेश और मेरी मातृभूमि की रक्षा करने से नहीं रोक सकती। अंत में सच्चाई और धर्म की जीत होगी।’
अब आगे क्या?
एसीबी कोर्ट ने रविवार शाम को नायडू को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। नायडू के वकील ने यह भी अनुरोध किया कि उन्हें मिली जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें घर में नजरबंद रखा जाए, लेकिन अदालत ने अनुरोध खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने जेल अधिकारियों को उनकी उम्र और सेहत को ध्यान में रखते हुए विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
अदालत के आदेश के तुरंत बाद, सीआईडी ने मामले में पूछताछ के लिए नायडू को हिरासत में लेने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की। 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद उन्हें राजमुंदरी सेंट्रल जेल ले जाया गया है। वहीं इसके विरोध में तेलुगु देशम पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं।
पार्टी ने सोमवार को पूरे राज्य में बंद का आह्वान किया। पूर्व मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए जन सेना पार्टी (जेएसपी) के पवन कल्याण ने भी इस बंद का समर्थन किया है। इसके अलावा भाजपा ने कार्रवाई की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं।