Chandrayaan 3: दुनिया में भारत के लिए तरक्की की नई राहें होंगी प्रशस्त, मिशन की सफलता से देश पर बरसेंगे डॉलर
Chandrayaan-3: लॉन्चिंग के लिए तैयार चंद्रयान भारत के लिए क्यों है
Updated Fri, 14 Jul 2023 04:18 PM IST
Chandrayaan 3: दुश्मन के ‘ड्रोन’ का मुकाबला करने बाबत इंडियन स्पेस एसोसिएशन के डीजी ले. जनरल (रि) एके भट्ट कहते हैं, आज स्पेस डोमेन का संघर्ष है। परंपरागत लड़ाई के तरीकों की जगह आज 3डी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और क्वांटम तकनीक ने ले ली है.
'चंद्रयान 3' की सफलता, दुनिया में भारत के लिए तरक्की की नई राहें प्रशस्त करेगी। यूं समझ लें, यह एक इतिहास रचा जाएगा। इसकी सफलता से एक-दो नहीं, बल्कि अनेकों क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे। बॉर्डर पर चीन जैसे शत्रु राष्ट्र, जो आए दिन कोई न कोई खुराफात करते रहते हैं, उन पर नजर रखना आसान हो जाएगा। दुश्मन की सेना की मिनट-टू-मिनट मूवमेंट का पता चलेगा। हैवी मिसाइल दागने के लिए एक विश्वसनीय प्लेटफार्म उपलब्ध होगा। जब भारत में पे लोड की क्षमता बढ़ेगी, तो दुनिया के कई देश अपने उपग्रहों की लॉंचिंग के लिए भारत से संपर्क करेंगे। 'चंद्रयान 3' की सफलता से भारत पर डॉलर बरसने लगेंगे। कई बार ऐसी खबरें हमें विचलित करती हैं कि फलां उल्का पिंड, पृथ्वी से टकरा जाएगा। ऐसे में लोगों की सांस थमने लगती हैं। अभी इस तरह की गतिविधियों पर पृथ्वी से नजर रखना आसान नहीं है। लिहाजा चंद्रमा का वातावरण पूरी तरह साफ रहता है तो वहां से कोई भी वस्तु स्पष्ट नजर आती है। इसके अलावा 'चंद्रयान-3' की कामयाबी भारत को पृथ्वी से बाहर यानी चंद्रमा पर एक स्टेशन तैयार करने का अवसर प्रदान करेगी। यहां से दूसरे ग्रहों पर जाना आसान हो जाएगा।
दुनिया में आज स्पेस डोमेन का संघर्ष है
पूर्व वैज्ञानिक एवं प्रमुख रेडियो कार्बन डेटिंग लैब, बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान, लखनऊ, डॉ. सीएम नौटियाल ने यह बात कही है। भारत से लगती चीन सीमा पर कुछ वर्षों से घुसपैठ की गतिविधियां बढ़ रही हैं। चीन की सेना के भारतीय क्षेत्र में आने की खबरें आती रहती हैं। हालांकि भारत की ओर से उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाता है। चीन से लगती सीमा पर भी बड़ी संख्या में ऐसे ड्रोन की उपस्थिति बताई गई है, जिन्हें बिना किसी दूरबीन के देखना संभव नहीं होता। दुश्मन के ‘ड्रोन’ का मुकाबला करने बाबत इंडियन स्पेस एसोसिएशन के डीजी ले. जनरल (रि) एके भट्ट कहते हैं, आज स्पेस डोमेन का संघर्ष है। परंपरागत लड़ाई के तरीकों की जगह आज 3डी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और क्वांटम तकनीक ने ले ली है।
72 सैटेलाइट से बॉर्डर पर सर्विलांस कर रहा चीन
सुरक्षा के मोर्चे पर ये बड़ी चुनौती है। सैन्यकरण के अंतर्गत जल, थल और वायु में पीस/वॉर टाइम के दौरान तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। इसके जरिए हमें खुद के उपकरणों को बचाते हुए दूसरे का मुकाबला करना है। निजी सैटेलाइट का जमाना आ चुका है। एलन मस्क इसका एक उदाहरण हैं। मौजूदा समय में 92 देशों ने स्पेस में अपने सैटेलाइट उतार दिए हैं। खाड़ी देशों ने भी पैसे के बल पर यह स्थिति हासिल कर ली है। ‘इसरो’ आत्मनिर्भरता की राह पर है। मिलिट्री पॉजिशन, स्नूपिंग या आतंकियों की मदद में ड्रोन का प्रयोग होता है। चीन अपने मिलिट्री ड्रोन के जरिए जल, थल और वायु सटीक सर्विलांस करता है। इसके लिए उसने 72 सैटेलाइट तैयार किए हैं। युद्ध पोतों पर उसकी नियमित नजर रहती है।
कई द्वार खोलेगी ‘चंद्रयान 3’ की सफलता
डॉ. सीएम नौटियाल के मुताबिक, ‘चंद्रयान 3’ की सफलता हमारे लिए कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। इससे चंद्रमा पर भारत की सुरक्षित लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन होगा। साल 2019 में चंद्रयान 2 मिशन के अंतर्गत लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता नहीं मिल सकी थी। इस बार ‘चंद्रयान 3’ को लेकर हर तरह की प्रतिकूल संभावनाओं के बारे में पहले से सोचा गया है। अंतिम रणनीति तय हो चुकी है। इस तरह की सफलता से स्पिन ऑफ यानी कई तरह की दूसरी तकनीक विकसित होती हैं। उद्योगों में उन वस्तुओं और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल होता है। नए पदार्थ, यूनिट और सॉफ्टवेयर आदि विकसित होते हैं। नासा ने भी इस तरह की सफल लॉंचिंग के बाद विभिन्न उपकरणों और तकनीक का उपयोग उद्योगों में किया जा रहा है। एक असफलता के चार साल बाद ‘चंद्रयान-3’ भेजने का साहस करना, ये बहुत बड़ी बात है। इसकी सफलता पर हर कोई गर्व करेगा। लॉंचिंग क्षमता, पे लोड उपलब्धि और सुरक्षा के मोर्चे पर, भारत की ताकत बढ़ जाएगी। भारत की मिसाइल तकनीक में एक बड़ी मदद मिलेगी। उपग्रह भेजने के लिए भारत क्षमता बढ़ जाएगी। मौसम की सटीक भविष्यवाणी करना आसान होगा। भारी उपग्रह भेजने की क्षमता में अपेक्षित सुधार आएगा। इसके अलावा अंतरिक्ष की मैंपिंग के क्षेत्र में भी बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। प्राकृतिक संसाधनों की मैपिंग भी आसान हो जाएगी।
चंद्रमा पर हीलियम-3 की मौजूदगी, बदलेगा परिद्रश्य
चंद्रमा पर हीलियम 3 की मौजूदगी है। इसकी अच्छी खासी क्षमता है। अगर इसका इस्तेमाल हुआ तो दुनिया में ऊर्जा का संकट टल जाएगा। डॉ. सीएम नौटियाल बताते हैं, परमाणु रिएक्टरों में हीलियम 3 का इस्तेमाल करने से रेडियोएक्टिव ‘कचरा’ पैदा नहीं होता। सूरज से आने वाली किरणें ‘सौर पवन’, चंद्रमा की मिट्टी में घुसी हुई हैं। इसके चलते वहां हीलियम 3 की मात्रा बढ़ती रहती है। हीलियम 3, नाभकीय संलयन के लिए ईंधन का काम करेगा। यह हीलियम 4 से ज्यादा कुशल होता है। इसके जरिए ज्यादा एनर्जी विकसित होती है। पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र ‘आईटीईआर’ का प्रयोग हो रहा है। इसमें नाभकीय संलयन पर काम चल रहा है। इसके माध्यम से प्रदूषण मुक्त ऊर्जा पैदा हो सकेगी। भले ही उसमें एक दो या दो दशक का समय लगे। दुनिया के तमाम देशों की इस ओर निगाहें हैं। ‘चंद्रयान 3’ की सफलता का भू राजनीतिक महत्व है। इसकी कामयाबी के बाद हमें दूसरे ग्रहों पर जाने के लिए एक स्टेशन मिल जाएगा। अभी तक पृथ्वी से ही यह सब होता है। चंद्रयान 3 की कामयाबी हमें पृथ्वी के बाहर एक स्टेशन बनाने का अवसर देगी। चंद्रमा पर एक प्रयोगशाला बना सकेंगे।
पृथ्वी से कब किसके टकराने की संभावना पता चलेगी
कई बार ऐसी खबरें आती हैं कि कोई उल्का पिंड पृथ्वी से टकरा जाएगा। दुनिया, चिंता में पड़ जाती है। क्या होगा, कैसे बचेंगे, ये सवाल आने लगते हैं। डॉ. सीएम नौटियाल कहते हैं, चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल कम होता है। पृथ्वी के मुकाबले वहां पर वजन 1/6 कम रहता है। ऐसे में वहां पर नए प्रयोग संभव हैं। लैब वर्किंग के लिए वहां पर बेहतर माहौल होता है। वजह, चंद्रमा पर प्रदूषण नहीं होता। इसके चलते हम सेमी कंडक्टर पर तेजी से काम कर सकते हैं। अभी तक हम पृथ्वी से देखते थे कि कोई वस्तु तो टकराएगी। अब उसे चंद्रमा से मॉनीटर कर सकते हैं। वहां से कोई भी वस्तु जैसे उल्का पिंड आदि बहुत स्पष्ट नजर आते हैं। चंद्रमा से हर समय ऐसी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। पृथ्वी पर चूंकि दूषित वातावरण रहता है, तो ऐसे में कोई भी वस्तु धुंधला नजर आता है। चंद्रमा पर वातारण साफ रहता है, तो वहां से उल्का पिंड आसानी से नजर आ जाएंगे। उसका साइज और दिशा के बारे में अहम जानकारी हासिल की जा सकेगी। चंद्रयान 3 की सफलता से भारत को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भी अर्जित होगी। अधिक से अधिक देश, भारत से अपने उपग्रह लांच कराने के लिए संपर्क करेंगे। फरवरी 2017 में भारत ने PSLV-C37 लॉन्च किया था। उसके साथ 104 सैटेलाइट्स को प्रक्षेपित किया गया था। उन उपग्रहों में से भारत के तीन उपग्रह थे। बाकी के सैटेलाइट्स, नीदरलैंड, इजराइल, कजाकिस्तान, स्विट्जरलैंड और अमेरिका के थे।