क्या होगा इंसानों का? जलेगी धरती और 1.5 डिग्री बढ़ोत्तरी होगी आने वाले समय में … … … … …
इंसानों ने जिस तरह से प्राक्रति के साथ खिलवाड़ किया है उससे पूरा विश्व आने वाले समय में प्राक्रतिक आपदा झेलेगा और आने वाली पीढिय़ों का रहन सहन आज से बहुत अलग होगा।
सिर्फ चार साल और धरती का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. हर पांच साल में एक साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी वाला होगा. धरती जलेगी. नतीजा बेमौसम बारिश, अचानक बाढ़, सूखा, धूल भरी आंधी, समुद्री जलस्तर का बढऩा. समुद्री तूफानों का आना. जंगल में आग लगना. इतना सबकुछ होगा.
सिर्फ चार साल और यानी 2027 से पहले, पूरी दुनिया का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. ये डरावना खुलासा विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने किया है. इसका मतलब ये नहीं है कि दुनिया का तापमान 2015 के पेरिस एग्रीमेंट के स्तर से ऊपर चला जाएगा. पर गर्मी बढ़ेगी.
ये तो पक्का है. इतनी की लोगों की हालत खराब होने वाली है. पूरी दुनिया जलेगी. मौसम का समय बदलेंगे. आपदाएं आएंगी. WMO ने यह खुलासा 30 साल के औसत वैश्विक के आधार पर किया है. संगठन ने कहा कि 2027 तक दुनिया का तापमान डेढ़ डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. इसकी 66 फीसदी संभावना है.
ब्रिटेन के मेट ऑफिस हैडली सेंटर के लॉन्ग-रेंज प्रेडिक्शन प्रमुख एडम स्कैफी ने कहा कि यह भी संभव है कि हम अगले चार-पांच सालों में गर्मी का ऐतिहासिक रिकॉर्ड स्तर देखें. डेढ़ डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान चला जाए. पिछले साल आई रिपोर्ट में इस बात की आशंका 50-50 थी. लेकिन दोबारा की गई स्टडी के मुताबिक अब यह 66 फीसदी है. जिस डरावनी रिपोर्ट में इस चीज का खुलासा किया गया है, उसका नाम है.
हर पांच साल में एक साल होगा बेहद गर्म
WMO ने एक और खतरनाक चेतावनी जारी की है. जिसमें कहा है कि अगले हर पांच साल में एक साल रिकॉर्डतोड़ गर्मी पडऩे के 98 फीसदी आशंका है. यह प्रक्रिया साल 2016 से शुरू हो चुकी है. यह एक बड़े स्तर का जलवायु संकट है, जिसे ज्यादातर देश गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
दुनिया ग्रीनहाउस गैसों पर नहीं लगा पाई रोक
एडम कहते हैं कि अगर अस्थाई तौर पर भी डेढ़ डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ता है, तब भी पूरी दुनिया को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना होगा. बेमौसम बारिश, अचानक बाढ़, सूखा, धूल भरी आंधी, समुद्री जलस्तर का बढऩा. समुद्री तूफानों का आना. मतलब ये है कि पूरी दुनिया ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने में नाकाम रही.
जलवायु परिवर्तन से आएंगे ज्यादा अल-नीनो
जब तक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम नहीं करेंगे, हम बढ़ती गर्मी को रोक नहीं पाएंगे. इसका असर अलग-अलग देशों के हर मौसम पर पड़ेगा. भारत की हालत इसलिए खराब होगी क्योंकि अल-नीनो के साथ जब इंसानों द्वारा किया जा रहा जलवायु परिवर्तन मिलेगा तो स्थितियां और भी बद्तर हो जाएंगी.
अल-नीनो से गर्म होगा वायुमंडल, फिर धरती
WMO के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा कि ज्यादा गर्मी बढऩे से अल-नीनो की स्थिति भी पैदा होगी. इसकी वजह से ट्रॉपिकल प्रशांत महासागर की ऊपरी सतह गर्म होगी. इससे वायुमंडल भी गर्म होगा. जब वायुमंडल गर्म होगा तो पूरी दुनिया का तापमान बढ़ेगा. अगले कुछ महीनों में पूरी दुनिया में अल-नीनो का असर देखने को मिलने वाला है.
गर्मी की मार पूरी दुनिया को झेलनी होगी
अल-नीनो की प्रक्रिया आमतौर पर होने वाले जलवायु परिवर्तन से अलग है. लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाला अल-नीनो खतरनाक हो सकता है. इसकी वजह से उत्तरी अमेरिका का तापमान बढ़ेगा. दक्षिणी अमेरिका में सूखा आ सकता है. साथ ही अमेजन के जंगलों समेत दुनिया के कई देशों के जंगलों में आग लग सकती है.
इससे पहले वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि साल 2017 और 2021 के बीच डेढ़ डिग्री तापमान बढऩे की आशंका सिर्फ 10 फीसदी है. लेकिन अगले कुछ सालों में पारा इतना चढऩे की आशंका 66 फीसदी हो चुकी है. WMO की भविष्यवाणी अलग होती है. यह IPCC की तरह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को लेकर नहीं होती. बल्कि यह लॉन्ग रेंज वेदर फोरकास्ट होता है.