बदलेगी आप सबकी जिंदगी, दी ऐसी सीख मोटिवेशनल स्पीकर गोपाल दास गौर ने
सफर खूबसूरत है मंजिल से भी, मेरी हर कमी को है तू लाजमीं… जुनून है मेरा, बनूं मैं तेरे काबिल…! उन्होंने कहा कि सफर खूबसूरत है मंजिल से भी. उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम मंजिल पर ध्यान देते देते सफर को भूल गए हैं. हमारा सफर पर ध्यान ही नहीं है. एक अंग्रेजी का शब्द है सफर और एक हिंदी का शब्द है. हमें हिंदी का सफर याद रखना है.
मोटिवेशनल स्पीकर गौर गोपाल दास की 10 खास बातें
1. गाड़ी कितनी बढ़िया है इससे ज्यादा आपके साथ गाड़ी में कौन बैठा है ये ज्यादा मायने रखता है. कितनी भी मंहगी गाड़ी हो और उसमें गलत इंसान बैठा हो तो सफर बेकार होता है, लेकिन सही इंसान के साथ हो तो ऑटो रिक्शा में भी 4 लोगों के साथ आनंद आता है.
2. हमें अपने सफर को हरदम याद रखना है और सफरिंग को भूल जाना है. उन्होंने कहा कि सफर खूबसूरत है मंजिल से भी. उन्होंने कहा कि आज के दौर में हम मंजिल पर ध्यान देते देते सफर को भूल गए हैं. हमारा सफर पर ध्यान ही नहीं है.
3. हमारे लिए घर मायने नहीं रखता, उसके अंदर के रिश्ते मायने रखते हैं. मकान बनता है ईंटों से, स्टील से और घर बनता है रिश्तों से. हम मकान बनाते बनाते घर भूल जाते हैं. घड़ी पहनते हैं लेकिन वक्त का इस्तेमाल भूल जाते हैं.
4. लोगों को बोलने की आजादी है, लेकिन वही बोलना चाहिए जो आप जी रहे हैं. आप खुश हैं ये दिखाना बहुत मंहगा है. दिखावे से ज्यादा आथेंसिटी की लाइफ ज्यादा है.
5. जीवन में अच्छा वक्त सभी का आता है, लेकिन अच्छा वक्त ऐसे ही निकल जाता है और बुरा वक्त ठहर जाता है.
6. ऐसा कोई नहीं है जिसको तरक्की नहीं करनी है. हर एक को 18वीं मंजिल पर चढ़ना है. सबके दिल में वो इच्छाएं हैं. कौन है जिसको आसमान मे नहीं उड़ना है. सबको तरक्की करनी है. ऊपर जरूर उठना चाहिए और उसके लिए जूनून होना चाहिए. जब वो जूनून नहीं है तो कोई ऊपर नहीं उठ सकता. इसके लिए दिन रात एक करना होता है.
7. इतना ज्यादा ऊपर उठने में मेंटल प्रेशर है. नींद नहीं आती है. ख्वाहिशों के बोझ में तू क्या कर रहा है. इतना तो जीना भी नहीं जितना तू मर रहा है.
8. हमारी संतुलन वाली संस्कृति है किसी एक्सट्रीमिज्म पर नहीं जाना चाहते हैं. सुकून में कामयाबी जरूर चाहिए, लेकिन कामयाबी में सुकून ढूढना भी बहुत जरूरी है. इन दोनों के बैलेंस को ही जिंदगी कहते हैं. दोनों साथ में चलते हैं इसी को जिंदगी कहते हैं.
9. क्या हमको टेंशन नहीं होती है. साधुओं को बुखार नहीं होता है क्या? ये शरीर की समस्याएं हैं. कपड़े पहनने से जाती नहीं हैं. अरे हम भी इंसान हैं कोई भगवान नहीं हैं. तनाव सबको होता है, जिन्होंने अध्यात्म से कुछ सीखा है उसे अच्छी तरह से हैंडल करना आता है.
10. हमारे लिए फोन मायने नहीं रखता है. फोन पर क्या बातें हो रही हैं यह मायने रखती हैं. घड़ी मायने नहीं रखती है, घड़ी के वक्त का इस्तेमाल मायने रखता है.