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Outsider candidates in elections : बाहरी उम्मीदवारों को मतदाताओं ने दिखाया बाहर का रास्ता !

Outsider candidates in elections : लोकसभा चुनाव में बाहरियों को मतदाताओं ने दिखाया बाहर का रास्ता

Outsider candidates in elections : छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव 2024: इस बार के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के स्थानीय और बाहरी होने का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। सबसे पहले यह मुद्दा कोरबा से उठाया गया, जब भाजपा की नेत्री सरोज पांडेय को दुर्ग की जगह कोरबा से चुनावी मैदान में उतारा गया। इससे कोरबा के मतदाताओं में असंतोष फैल गया, क्योंकि वे किसी स्थानीय उम्मीदवार की उम्मीद कर रहे थे।

कोरबा में असंतोष

Outsider candidates in elections : कोरबा के लोगों ने सरोज पांडेय को बाहरी मानते हुए उनकी उम्मीदवारी को नकार दिया। उनका मानना था कि स्थानीय प्रत्याशी ही उनके क्षेत्र की समस्याओं को बेहतर समझ सकता है और उन्हें सही तरीके से संसद में उठा सकता है। इस असंतोष का परिणाम यह हुआ कि सरोज पांडेय को कोरबा से हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस की रणनीति भी असफल

Outsider candidates in elections : भाजपा के साथ ही कांग्रेस ने भी अपने कद्दावर नेताओं को सामाजिक समीकरण साधने के लिए उनके पारंपरिक क्षेत्रों से हटाकर अन्य लोकसभा क्षेत्रों में उतार दिया था। यह रणनीति भी मतदाताओं को रास नहीं आई और उन्होंने कांग्रेस के इन बाहरी प्रत्याशियों को नकार दिया। कांग्रेस के चार प्रमुख नेता – पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व मंत्री डा. शिव डहरिया और विधायक देवेंद्र सिंह यादव को हार का सामना करना पड़ा।

कांग्रेस के जातिगत समीकरण की हार

Outsider candidates in elections : राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, कांग्रेस ने जातिगत समीकरण साधने और बड़े नेताओं को प्रत्याशी बनाने की रणनीति अपनाई थी। इसके तहत दुर्ग के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव, दुर्ग के पूर्व सांसद ताम्रध्वज साहू को महासमुंद, रायपुर संभाग के पूर्व मंत्री डा. शिव डहरिया को जांजगीर-चांपा और दुर्ग-भिलाई के निवासी विधायक देवेंद्र यादव को बिलासपुर से चुनावी मैदान में उतारा गया था।

Indian male voter hand with voting ink sign of vote

मतदाताओं ने बाहरी प्रत्याशियों को नकारा

मतदाताओं ने इन सभी बाहरी प्रत्याशियों को हार का रास्ता दिखा दिया। मतदाताओं का मानना था कि बाहरी प्रत्याशी उनके क्षेत्र की समस्याओं को समझने और समाधान निकालने में सक्षम नहीं होंगे। उनका यह भी मानना था कि बाहरी नेताओं को उनके क्षेत्र की भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों की पर्याप्त समझ नहीं होती। इसीलिए, मतदाताओं ने स्थानीय प्रत्याशियों को प्राथमिकता दी और बाहरी नेताओं को नकार दिया।

क्षेत्रीय मुद्दों का महत्व

Outsider candidates in elections : छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की समस्याएं विशेष महत्व रखती हैं, वहां स्थानीय मुद्दों को बेहतर समझने वाले और स्थानीय समाज से जुड़े हुए प्रत्याशियों को ही प्राथमिकता दी जाती है। इस चुनाव में भी यह स्पष्ट हो गया कि मतदाता अपने क्षेत्र की समस्याओं को समझने और उन्हें सही मंच पर उठाने वाले स्थानीय नेताओं पर ही भरोसा करते हैं।

राजनीतिक दलों के लिए सबक

Outsider candidates in elections : इस चुनाव ने राजनीतिक दलों को यह सबक भी सिखाया कि बाहरी प्रत्याशियों को उतारने की रणनीति हमेशा सफल नहीं होती। दलों को स्थानीय नेताओं को प्रोत्साहित करना चाहिए और उन्हें चुनावी मैदान में उतारना चाहिए ताकि मतदाताओं का भरोसा जीता जा सके। बाहरी प्रत्याशियों के प्रति मतदाताओं का असंतोष यह दर्शाता है कि जनता अपने प्रतिनिधियों से घनिष्ठता और उनके बीच एक आत्मीय संबंध की अपेक्षा रखती है।

भविष्य के चुनावों के लिए संकेत

आगामी चुनावों में राजनीतिक दलों को यह ध्यान में रखना होगा कि स्थानीय और बाहरी होने का मुद्दा कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। उन्हें स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता देनी होगी और जातिगत समीकरणों से परे हटकर वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। मतदाताओं ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वे केवल नाम और प्रतिष्ठा से प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि वे उन नेताओं का चुनाव करेंगे जो उनकी समस्याओं को समझते हैं और उनके समाधान के लिए वचनबद्ध हैं।

निष्कर्ष

2024 के लोकसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने बाहरी प्रत्याशियों को नकारते हुए स्थानीय नेताओं को प्राथमिकता दी। यह चुनाव परिणाम राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि वे अपने प्रत्याशियों के चयन में सावधानी बरतें और स्थानीय मुद्दों और मतदाताओं की भावनाओं को ध्यान में रखें। केवल बड़े नाम और प्रतिष्ठा से चुनाव जीतने की रणनीति अब सफल नहीं होगी। जनता अब अपने प्रतिनिधियों से अधिक जुड़ाव और समझ की अपेक्षा करती है, और यही आने वाले चुनावों में भी एक महत्वपूर्ण कारक होगा।

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रायपुर दर्शन डिजिटल न्यूज़ चैनल का एक ऐसा माध्यम है जिसमे छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश दुनियां की सारी खबरे एक ही प्लेटफार्म में देखने मिलेंगी। हमारा उद्देश्य बदलते छत्तीसगढ़ ,नक्सलवाद का खात्मा करता छत्तीसगढ़ ,शिक्षा का अलख जगाता छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश दुनियां में सांस्कृतिक धरोहर को बेहतर मुकाम पर दिखाना है।

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