Updated Tue, 11 Jul 2023 07:40 PM IST
ED Director Sanjay Mishra : सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर कहते हैं कि कानून में ‘डॉक्ट्रिन ऑफ़ ब्लू पेंसिल’ की कानूनी अवधारणा के तहत कार्यकाल अवैध हो सकता है, लेकिन कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों को अवैध घोषित नहीं किया जाता है.
ईडी निदेशक संजय मिश्रा के हुए तीसरे कार्यकाल के विस्तार को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहरा दिया। संजय मिश्रा को मिला 18 नवंबर 2022 का सेवा विस्तार गैरकानूनी मान लिया गया। इस फैसले के साथ ही संजय मिश्रा के तीसरे कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसले और कार्रवाइयों के समीक्षा की मांग उठने लगी है। सियासी दलों की ओर से कहा यह जा रहा है कि जो फैसले संजय मिश्रा के बतौर निदेशक रहते लिए गए, उनको एक बार फिर से जांचा जाए। हालांकि कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि ईडी के निदेशक का कार्यकाल भले अवैध घोषित किया गया हो, लेकिन उस दौरान लिए गए फैसले कानूनी तौर पर अवैध नहीं माने जाएंगे। सियासी गलियारों के अलावा संजय मिश्र के कार्यकाल को अवैध ठहराए जाने से नौकरशाही के गलियारे में भी खूब चर्चाएं हो रही हैं।
कांग्रेस बोली- हो फैसलों का ‘रिव्यू’
बीते कुछ सालों में सबसे ज्यादा जांच एजेंसियों में अगर किसी की चर्चा हुई तो ईडी की ही रही है। बड़े-बड़े राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर बड़े व्यापारियों के पैसों के लेनदेन और हेराफेरी करने के मामलों में ईडी ने मामले दर्ज किए उनको जेल भेजा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता पीएल पुनिया कहते हैं कि जब सुप्रीम कोर्ट ने ईडी जैसी देश की सबसे बड़ी संस्था के मुखिया की नियुक्ति ही अवैध करार दे दी, तो उसकी इस अवैध नियुक्ति वाले कार्यकाल के फैसलों का रिव्यू तो किया ही जाना चाहिए। पीएल पुनिया कहते हैं कि उनकी पार्टी लगातार कहती आई है कि ईडी और सीबीआई जैसी देश की प्रमुख संस्थाएं केंद्र के इशारे पर काम कर रही हैं। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने ही ईडी डायरेक्टर के कार्यकाल को ही अवैध घोषित कर दिया तो बतौर निदेशक की मंशा अनुरूप की गई कार्रवाईयों का रिव्यू तो होना चाहिए।
सेवा विस्तार अवैध लेकिन फैसले कानूनी
कानून के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के तीसरे कार्यकाल को भले अवैध करार दिया हो, लेकिन इस कार्यकाल के दौरान किए गए फैसलों को अवैध नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर कहते हैं कि कानून में ‘डॉक्ट्रिन ऑफ़ ब्लू पेंसिल’ की कानूनी अवधारणा के तहत कार्यकाल अवैध हो सकता है, लेकिन कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों को अवैध घोषित नहीं किया जाता है। वह कहते हैं कि ईडी डायरेक्टर संजय मिश्रा के घोषित किए गए अवैध कार्यकाल के बावजूद भी इसी आधार पर फैसलों को पलटने की कानूनी बाध्यता नहीं है। इस पूरे मामले पर कांग्रेस के प्रवक्ता पीएल पुनिया कहते हैं कि कानूनी तौर पर भले अवैध कार्यकाल हासिल करके बतौर निदेशक काम करने वाले संजय मिश्रा के फैसलों को चुनौती न दी जा सके, लेकिन उसको रिव्यू करने का तो आधार बनता ही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 दिन का वक्त भी तो दिया है
कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने संजय मिश्रा के कार्यकाल को अवैध घोषित किया है। लेकिन उनको तत्काल प्रभाव से हटाने के लिए नहीं कहा है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुमित वर्मा कहते हैं, उन्होंने अभी इस फैसले को पूरी तरह से पढ़ा नहीं है, लेकिन जितनी जानकारी उनको मिली है, उससे यही पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय मिश्रा के तीसरे कार्यकाल को अवैध घोषित किया है। वह कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों को अवैध नहीं बताया है। ऐसे में स्पष्ट होता है कि इस कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों के गैरकानूनी होने पर सवाल उठाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। उनका कहना है कि संजय मिश्रा को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ही 31 जुलाई तक कहा है।
विवादों में ही होता रहा है संजय मिश्रा का कार्यकाल विस्तार
दिल्ली के पूर्व चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर रहे 1984 बैच के आईएएस अधिकारी संजय मिश्रा को जब दूसरी बार सेवा विस्तार दिया गया विवाद तभी से शुरू हो गया। कानूनी तौर पर तो यह विवाद कोर्ट पहुंचा। लेकिन इस विवाद में अंदरूनी तौर पर कई अधिकारियों ने भी इसमें मोर्चाबदी शुरू कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक लगातार मिलने वाले सेवा विस्तार के चलते सिर्फ राजस्व सेवा ही नहीं बल्कि अन्य सेवाओं से जुड़े अधिकारियों में चर्चा थी कि अगर एक अधिकारी को लंबे समय तक देश की इतनी बड़ी महत्वपूर्ण एजेंसी में रिटायर होने के बाद मौका मिलता रहेगा, तो सेवा में रहने वाले अधिकारियों को कैसे ऐसी एजेंसी में काम करने की जिम्मेदारी मिल सकेगी। सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जब मई में फैसला सुरक्षित किया, तो ब्यूरोक्रेटिक गलियारे में इसके फैसले का सबसे ज्यादा इंतजार था। अब जब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि ईडी निदेशक संजय मिश्रा का तीसरा सेवा विस्तार अवैध है, तो आगे की रणनीति पर इस मामले में रुचि ले रहे कई अधिकारियों ने अपनी सियासी पकड़ को खंगालना शुरू कर दिया है।