
राज्यपाल ने पांच ही घंटे में अपने फैसले को पलट दिया. उनके दूसरे खत में केंद्रीय गृहमंत्री की इस सलाह का ज़िक्र था कि विवादास्पद कदमों पर कानूनी राय लेना ‘विवेकपूर्ण’ होता है. इसके बाद तमिलनाडु में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, और राज्य की DMK सरकार ने इसकी कड़ी निंदा की है.
Updated: 30 जून, 2023 06.40 PM
New Delhi:
तमिलनाडु के गवर्नर आर.एन. रवि ने गिरफ़्तार राज्य मंत्री सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करने में कानूनी सलाह लिए बिना कार्रवाई की, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद कुछ ही घंटे में अपना फैसला रोक दिया.यह जानकारी उन्हीं के दो पत्रों से हुई, जिन तक NDTV कीू एक्सक्लूसिव पहुंच बनी.
राज्यपाल ने पांच ही घंटे में अपने फैसले को पलट दिया. उनके दूसरे खत में केंद्रीय गृहमंत्री की इस सलाह का ज़िक्र था कि विवादास्पद कदमों पर कानूनी राय लेना ‘विवेकपूर्ण’ होता है. इसके बाद तमिलनाडु में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, और राज्य की DMK सरकार ने इसकी कड़ी निंदा की है.
गुरुवार शाम को पांच पृष्ठ से ज़्यादा के अपने पहले खत में राज्यपाल ने बताया कि वह राज्य सरकार की अनदेखी करते हुए सेंथिल बालाजी को मंत्रिपरिषद से क्यों बर्खास्त कर रहे हैं.
“ऐसी उचित आशंकाएं हैं कि सेंथिल बालाजी के मंत्री बने रहने से कानून की जायज़ प्रक्रिया में बाधा होगी और न्याय की प्रक्रिया भी बाधित होगी… ऐसी स्थिति अंततः राज्य में संवैधानिक मशीनरी के टूटने का कारण बन सकती है… ऐसी परिस्थितियों में और संविधान के अनुच्छेद 154, 163 और 164 के तहत मुझे प्रदत्त शक्तियों के आधार पर मैं वी. सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करता हूं…”
पांच घंटे बाद, आधी रात से कुछ वक्त पहले, राज्यपाल ने एक पेज के दूसरे पत्र में कहा कि निर्णय रोक दिया गया है. उन्होंने लिखा, “मुझे माननीय केंद्रीय गृहमंत्री ने सलाह दी है कि अटॉर्नी जनरल की भी राय लेना समझदारी होगी… तदनुसार, मैं उनकी राय के लिए अटॉर्नी-जनरल से संपर्क कर रहा हूं… इस बीच मंत्री थिरु वी. सेंथिल बालाजी की बर्खास्तगी का आदेशपत्र अगले संचार तक निलंबित रखा जा सकता है…”