मुस्लिमों पर आरएसएस की नजर
भोपाल। भाजपा की सदस्यता अभियान से छूटे मुस्लिमों पर अब आरएसएस की नजर है। माना जा रहा है कि भाजपा की पहुंच से 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम अब तक दूर हैं। ऐसे में संघ के अनुषांगिक संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच सदस्यता अभियान चलाएगी। बताया जा रहा है कि इस अभियान का आगाज दिसंबर में होगा।इसे लेकर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के प्रदेश संयोजक तौफीक अहमद का बयान भी सामाने आया है। उनका कहना है कि बीते सदस्यता अभियान में सर्वाधिक मुस्लिमों को मंच से जोड़ा गया था। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में अभियान का असर दिखाई दिया। हमारा लक्ष्य राष्ट्रवाद के लिए है। संघ के साथ राष्ट्रवादी विचारधारा से जुडऩे के लिए अल्पसंख्यक वर्ग से संवाद किया जाएगा। हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक मुस्लिमों को सदस्य बनाने का है। बीते 70 साल में मुस्लिमों का राजनीतिक दलों ने शोषण किया। अब केंद्र और प्रदेश की योजना से मुस्लिम भी लाभान्वित हो रहे हैं।
आरोप-प्रत्यारोप शुरू
वहीं, इस पर कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया ने कहा कि यह संघ और भाजपा के दोहरा चरित्र है। दिखाते कुछ और करते कुछ और हैं। पूरे देश में माहौल बिगाड़ा रखा है। काटेंगे बाटेंगे जैसे बयान किसके। ये सांप्रदायिक सद्भाव बिगाडऩे का काम करते हैं। साधु-संतों तक को चुनाव में लगाकर प्रचार कराते हैं। अल्पसंख्यक को गुमराह करने का काम करते हैं। पहले संदेह जताते हैं फिर राष्ट्रवाद की बात करते हैं। दोनों ही संगठन की आधारशिला ही बेईमानी है। इधर, भाजपा नेता शुभम शुक्ला का कहना है कि राष्ट्रवाद के लिए आरएसएस के अलग-अलग प्रकल्प काम करते हैं। राष्ट्र के लिए चेतना जागने का काम करते हैं। यह स्वागत योग्य कदम है। मुस्लिम राष्ट्रवाद से जुड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी पीएफआई और सिमी जैसी संगठनों के साथ होती है। आतंकवादियों के साथ होती है। यह अंतर कांग्रेस और भाजपा में बहुत स्पष्ट देखा जा सकता है। कांग्रेस की राजनीति पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे दो पड़ोसी देश में दिखती है। जो कि इतिहास में दिखाई देता है।