मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर

एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल का दावा मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटरों के संबंध में एक महत्वपूर्ण चिंता को उठाता है। स्मार्ट मीटर एक प्रकार का आधुनिक मीटर है, जो उपभोक्ताओं के बिजली उपयोग की वास्तविक समय में निगरानी करता है और स्वचालित रूप से डेटा भेजता है, जिससे बिजली वितरण कंपनियों को बिलिंग और निगरानी में सुविधा होती है।

हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि इन स्मार्ट मीटरों की कीमत वर्तमान में उपभोक्ताओं से नहीं ली जा रही है, लेकिन अगले 10 सालों में इसके लिए किस्तें वसूलने का प्रावधान हो सकता है। इसका मतलब यह हो सकता है कि जब स्मार्ट मीटर की लागत पूरी तरह से तय की जाएगी, तो सरकार या संबंधित कंपनियां उपभोक्ताओं से किश्तों के रूप में राशि वसूलेंगी।

राजेंद्र अग्रवाल ने इस पर आपत्ति जताई है क्योंकि यह उपभोक्ताओं पर एक अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल सकता है, जो उन्हें अप्रत्याशित रूप से भुगतना पड़ सकता है। साथ ही, यह सवाल भी उठता है कि क्या इस तरह की योजना पारदर्शी तरीके से उपभोक्ताओं को पहले से सूचित की गई थी या नहीं।

यदि यह योजना लागू होती है, तो इसे लेकर उपभोक्ताओं के बीच असंतोष और विरोध भी हो सकता है, क्योंकि इस तरह की अतिरिक्त लागत उनकी बिजली की मासिक बिलिंग में जोड़ दी जाएगी।

News Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button