बीजेपी के नारे पर पुष्पम प्रिया का पलटवार, कहा….
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. 2015 में बुरी तरह से नाकाम होने के बाद 'द प्लुलर्स पार्टी' की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी अब 'मिशन 2025' के लिए तैयार हो रही हैं. उन्होंने एक बार फिर से जन संपर्क अभियान शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में अपनी महायान यात्रा पर बोधगया में पहुंची द प्लूलर्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने बताया कि वह 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लड़ने की तैयारी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने उपचुनाव में नहीं लड़ा है, लेकिन 2025 का चुनाव जरूर लड़ेगी. पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे कहा कि बिहार में चुनाव के वक्त पॉवर पॉलिटिक्स का तमाशा देखने को मिलता है. सीएम पद को लेकर उन्होंने कहा कि इसपर हर एक नागरिक का अधिकार है. उन्होंने कहा कि सीएम की कुर्सी किसी की बपौती नही है. बदलाव लाना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि आज बदलाव लाने की बात हो रही है, इसलिए यात्रा की शुरुआत की है. बिहार का कोई भी पद किसी की बपौती नहीं है. इस दौरान पुष्पम प्रिया चौधरी ने बीजेपी के 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जुमलों से ही राजनीति होती है. एक पर एक जुमले दिए जा रहे हैं. अब ऐसा लग रहा है कि स्क्रिप्ट लिखने के लिए किसी फिल्म के डायरेक्टर को बुला लेना चाहिए. ऐसी कोई भी पार्टी नहीं है जो बांट ना रही हो. जिन्होंने यह नारा दिया है उनसे भी पूछने की जरूरत है. पुष्पम प्रिया ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टी एक ही जैसी हैं. ऐसा नारा देने का ट्रेंड रहा है. बिहारियों के मन मे अक्सर यह सवाल होता है कि किसको चुनेंगे? एक तरफ खाई है तो दूसरे तरफ कुआं है.
उन्होंने कगा कि जुमलों से बचना है. चाहे वह किसी पार्टी का जुमला हो. उन्होंने जुमला देने के अलावा क्या किया है, यह सबने देखा है. वहीं पटना शेल्टर होम में 3 बच्चियों की मौत पर उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है. 2020 से पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं. हमारी खुद की पार्टी के प्रत्याशी के बेटी की हत्या कर दी गई थी. यहां बेटियों की मौत होना, अगवा करना, रेप होना, यह आम बातें रही हैं. जब वोट डालने जाते है तो ये सारी बातें भुल जाते है. यह सीएम की जिम्मेवारी होती है. जब कोई कांड होता है तो ऊपर के पदाधिकारी नीचे के पदाधिकारी को ढ़ूंढ़ने लगते हैं.